Description
स्पतिक शिवलिंग और शेषनाग (Spatik Shivling with Sheshnaag)
स्पतिक शिवलिंग (Spatik Shivling) और शेषनाग (Sheshnag) का एक साथ रूप दिखाने वाले शिवलिंग को विशेष रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व प्राप्त है। स्पतिक शिवलिंग, जो कि पारदर्शी क्रिस्टल के रूप में होता है, एक पवित्र और शुद्ध रूप में शिव के आशीर्वाद को व्यक्त करता है। शेषनाग, जो भगवान विष्णु के वाहन के रूप में प्रकट होते हैं, उनकी सर्प रूपी उपस्थिति शिवलिंग के साथ जोड़कर इसे और भी पवित्र और प्रभावी माना जाता है।
यह संयोजन विशेष रूप से पूजा में भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों के आशीर्वाद को आकर्षित करता है, और यह शांति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए लाभकारी माना जाता है।
स्पतिक शिवलिंग और शेषनाग के लाभ:
- शिव के आशीर्वाद से भरपूर: स्पतिक शिवलिंग को भगवान शिव का रूप माना जाता है, और यह अत्यधिक पवित्र माना जाता है। इसे पूजा में रखने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह सभी पापों से मुक्ति दिलाने, जीवन में शांति और समृद्धि लाने में सहायक है।
- द्वारपाल के रूप में शेषनाग का आशीर्वाद: शेषनाग, जो भगवान विष्णु के कश्यप ऋषि के पुत्र और भगवान विष्णु के वाहन हैं, उनके साथ शिवलिंग की पूजा करने से द्वारपाल (रक्षक) के रूप में शेषनाग की ऊर्जा का आशीर्वाद मिलता है। यह रक्षात्मक शक्ति और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह संयोजन व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और ध्यान में सफलता दिलाता है। शेषनाग की उपस्थिति से मानसिक शांति और दिव्य आशीर्वाद मिलता है, और स्पतिक शिवलिंग के माध्यम से शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश: स्पतिक शिवलिंग एक शक्तिशाली नकारात्मक ऊर्जा से बचाव का साधन होता है। शेषनाग की सर्प रचना, जो प्राचीन प्रतीक मानी जाती है, जीवन में उत्पन्न होने वाली बुरी और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करती है।
- धन, सुख और समृद्धि में वृद्धि: यह संयोजन विशेष रूप से वित्तीय समृद्धि और व्यवसाय में सफलता लाने के लिए लाभकारी है। शिवलिंग के साथ शेषनाग की पूजा से न केवल जीवन में सफलता मिलती है बल्कि अपार धन और सुख की प्राप्ति होती है।
स्पतिक शिवलिंग और शेषनाग की पूजा विधि:
स्पतिक शिवलिंग और शेषनाग की पूजा विधि सरल और प्रभावी होती है, लेकिन इसे पूरे ध्यान और श्रद्धा के साथ करना आवश्यक है। यहां एक सामान्य पूजा विधि दी गई है:
1. पूजा स्थल की तैयारी:
- सबसे पहले पूजा स्थल को स्वच्छ करें और एक पवित्र स्थान पर रखें। सफ़ेद रंग की चादर या पट्टी का उपयोग करें, क्योंकि यह शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
- वहां एक दीपक (दीया) जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
- एक ताजे फूल और फल अर्पित करें और एक छोटा जल का पात्र रखें।
2. शिवलिंग और शेषनाग की शुद्धि:
- दोनों, स्पतिक शिवलिंग और शेषनाग की शुद्धि के लिए उन्हें साफ पानी से धो लें। यदि चाहें तो गुलाब जल से भी शुद्ध कर सकते हैं।
- इसके बाद, इन दोनों को ताजे फूलों से सजाएं और पूजा की तैयारी करें।
3. मंत्र जाप:
- शिवलिंग और शेषनाग की पूजा करते समय निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
- “ॐ नमः शिवाय” – यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित होता है और सभी पापों का नाश करने वाला है।
- “ॐ शेषनागाय नमः” – यह मंत्र शेषनाग के आशीर्वाद और उनकी रक्षात्मक शक्तियों को ग्रहण करने के लिए है।
इन मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करें, और इसके लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।
4. जल और पंचामृत अर्पण:
- शिवलिंग पर जल और पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी) अर्पित करें। पंचामृत का उपयोग शिवलिंग की पूजा में विशेष रूप से किया जाता है और यह शिव को प्रसन्न करने के लिए आदर्श होता है।
- शेषनाग की मूर्ति या रूप पर भी जल अर्पित करें।
5. धूप और दीपक अर्पित करें:
- पूजा में धूप और दीपक अर्पित करें। धूप से वातावरण शुद्ध होता है और दीपक शिव और शेषनाग दोनों को समर्पित करने का एक विशेष तरीका है।
6. फूल और फल अर्पित करें:
- पूजा के दौरान ताजे फूल और फल शिवलिंग और शेषनाग को अर्पित करें। इससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में समृद्धि आती है।
7. अंतिम प्रार्थना और धन्यवाद:
- पूजा समाप्त करने के बाद, भगवान शिव और शेषनाग का धन्यवाद करें। अपने मन, वचन, और क्रिया से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
- आप प्रसाद का वितरण भी कर सकते हैं और भगवान से समृद्धि, शांति और सुख की कामना करें।
स्पतिक शिवलिंग और शेषनाग के विशेष ध्यान रखने के नियम:
- स्वच्छता: स्पतिक शिवलिंग और शेषनाग की पूजा और रखरखाव में विशेष ध्यान रखें। इन दोनों को हमेशा साफ और शुद्ध रखें।
- पवित्रता: इन दोनों का नियमित रूप से पूजा स्थल पर ध्यानपूर्वक पूजन करें और किसी को बिना अनुमति के न छूने दें।
- अच्छे विचार: पूजा के समय सकारात्मक और शुद्ध विचार रखें। शुद्ध मानसिकता और श्रद्धा के साथ पूजा करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।
- स्थायित्व: यदि संभव हो तो स्पतिक शिवलिंग और शेषनाग को हमेशा एक स्थायी स्थान पर रखें, ताकि इनकी ऊर्जा का प्रभाव स्थिर रूप से बना रहे।





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