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Asthadhatu Durga Murti

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आठ धातु से बनी माँ दुर्गा की मूर्ति एक अत्यधिक प्रभावशाली और शक्तिशाली मूर्ति है, जो जीवन में हर प्रकार की कठिनाइयों और विघ्नों से रक्षा करती है। यह मूर्ति विशेष रूप से सकारात्मक ऊर्जा, शांति, समृद्धि, और मानसिक शक्ति में वृद्धि लाती है। इसके अलावा, यह परिवार में सौहार्द और प्रेम को बढ़ाती है। सही पूजा विधि से इसका नियमित रूप से पूजा करने से जीवन में खुशहाली, सफलता और सुरक्षा का अनुभव होता है।

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Description

आठ धातु माँ दुर्गा मूर्ति (Asthadhatu Durga Murti) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और पवित्र मूर्ति मानी जाती है। यह मूर्ति विशेष रूप से माँ दुर्गा की पूजा के लिए बनाई जाती है और इसका बहुत अधिक धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। “आठ धातु” का अर्थ है कि यह मूर्ति आठ प्रकार की धातुओं से निर्मित होती है, जिन्हें विशेष रूप से शुभ और शुद्ध माना जाता है। इन धातुओं का उपयोग करने से मूर्ति का प्रभाव और अधिक शक्तिशाली और शुभ माना जाता है।

आठ धातु (Asthadhatu) क्या हैं?

आठ धातु (Asthadhatu) में निम्नलिखित धातुएं शामिल होती हैं:

  1. सोना (Gold)
  2. चांदी (Silver)
  3. तांबा (Copper)
  4. लोहा (Iron)
  5. पीतल (Brass)
  6. जस्ता (Zinc)
  7. संगमरमर (Marble)
  8. पारद (Mercury)

इन आठ धातुओं का मिश्रण करके मूर्ति बनाई जाती है, जो देवी दुर्गा के दिव्य रूप का प्रतीक है। इन धातुओं का संगम देवी की शक्ति, समृद्धि, और शांति का प्रतीक माना जाता है।

आठ धातु माँ दुर्गा मूर्ति के लाभ:

  1. आध्यात्मिक उन्नति: आठ धातु से बनी माँ दुर्गा की मूर्ति घर में स्थापित करने से मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह पूजा करने वाले व्यक्ति के जीवन में संतुलन और शांति लाती है।
  2. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: आठ धातु की मूर्ति घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती है और नकारात्मकता को दूर करती है। यह घर के वातावरण को शुद्ध करती है और खुशी का माहौल बनाती है।
  3. विपत्ति और विघ्नों से रक्षा: माँ दुर्गा को विघ्नहर्ता और रक्षिका माना जाता है, और इस मूर्ति के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और विपत्तियों से मुक्त हो सकता है।
  4. धन और समृद्धि की प्राप्ति: यह मूर्ति घर में रखने से आर्थिक समृद्धि और धन का आगमन होता है। माँ दुर्गा के आशीर्वाद से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
  5. शक्ति और साहस में वृद्धि: दुर्गा माँ की पूजा से व्यक्ति में आंतरिक शक्ति और साहस का संचार होता है। यह व्यक्ति को मानसिक मजबूती और आत्मविश्वास प्रदान करती है।
  6. कष्टों और दुखों से मुक्ति: माँ दुर्गा के आशीर्वाद से व्यक्ति अपने जीवन के सभी कष्टों और दुखों से उबर सकता है। यह मूर्ति विशेष रूप से कष्टहरणी और संकटमणी मानी जाती है।
  7. परिवार में शांति और सौहार्द: घर में माँ दुर्गा की आठ धातु की मूर्ति रखने से पारिवारिक रिश्तों में सामंजस्य और शांति बनी रहती है। यह परिवार में प्रेम और सहयोग का माहौल उत्पन्न करती है।

आठ धातु माँ दुर्गा मूर्ति की पूजा विधि (Pooja Vidhi)

आठ धातु से बनी माँ दुर्गा की मूर्ति की पूजा विधि निम्नलिखित है:

  1. पूजा स्थल तैयार करें:
    • सबसे पहले, एक स्वच्छ और पवित्र स्थान पर लाल या पीली चादर बिछाएं। मूर्ति को इस स्थान पर रखें, और पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे फूल, दीपक, अगरबत्ती, चंदन, और जल तैयार करें।
  2. मूर्ति की सफाई:
    • मूर्ति को हल्के से साफ करें, ताकि उसमें से कोई धूल या गंदगी हट जाए। आप इसे शुद्ध जल से धो सकते हैं या हल्के कपड़े से पोंछ सकते हैं।
  3. दीपक और धूप अर्पित करें:
    • पूजा स्थल पर दीपक (दीया) जलाएं और धूप (अगरबत्ती) अर्पित करें। यह माँ दुर्गा को सम्मान देने और घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने का माध्यम होता है।
  4. माँ दुर्गा का ध्यान करें:
    • अब, शांत मन से माँ दुर्गा का ध्यान करें और उनके रूप, शक्ति, और आशीर्वाद के बारे में सोचें।
  5. मंत्रों का जाप करें:
    • निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
      • “ॐ दुं दुर्गायै नमः” (माँ दुर्गा के लिए)
      • “ॐ महाशक्ते महादेवी महाक्रूराय नमः” (माँ दुर्गा की महाशक्ति को संबोधित करते हुए)
      • “ॐ ह्लीं दुर्गे स्वाहा” (माँ दुर्गा के विजय मंत्र)
  6. फूल और भोग अर्पित करें:
    • माँ दुर्गा को ताजे फूल अर्पित करें और उनका पसंदीदा भोग अर्पित करें। यह भोग विभिन्न प्रकार के फल, मिठाई, या अन्य खाद्य सामग्री हो सकते हैं।
  7. आरती करें:
    • पूजा के बाद माँ दुर्गा की आरती करें और 108 बार “जय दुर्गे महाक्रूराय” का उच्चारण करें। इसके बाद, पूजा का समापन करें।
  8. प्रार्थना करें:
    • अंत में, माँ दुर्गा से अपने परिवार, जीवन और व्यवसाय के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
  9. नियमित पूजा:
    • इस पूजा को विशेष रूप से नवरात्रि या रविवार और मंगलवार के दिन करना शुभ होता है। नियमित पूजा से माता का आशीर्वाद अधिक सशक्त होता है।

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