Description
6 Mukhi Rudraksha विशेष रूप से भगवान कार्तिकेय का प्रतीक माना जाता है। यह रुद्राक्ष व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शक्ति प्रदान करता है और जीवन में हर प्रकार की बाधाओं को दूर करने में मदद करता है। यह रुद्राक्ष विशेष रूप से आत्मविश्वास, संकल्प और निर्णय क्षमता को बढ़ाता है। 6 Mukhi Rudraksha का पूजन करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
6 मुखी रुद्राक्ष का महत्व:
- भगवान कार्तिकेय का प्रतीक: 6 मुखी रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय (जो भगवान शिव के पुत्र हैं) के आशीर्वाद का प्रतीक है। वे युद्ध के देवता माने जाते हैं और यह रुद्राक्ष व्यक्ति को आत्मनिर्भरता और शक्ति प्रदान करता है।
- आत्मविश्वास और संकल्प: यह रुद्राक्ष निर्णय लेने की क्षमता और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: यह रुद्राक्ष शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
- समृद्धि और सुख: यह रुद्राक्ष समृद्धि, सुख, और मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद करता है।
6 मुखी रुद्राक्ष की पूजा विधि:
- स्वच्छ स्थान पर पूजा करें: सबसे पहले एक पवित्र और स्वच्छ स्थान पर आसन बिछाएं। वहां 6 मुखी रुद्राक्ष रखें और ध्यान रखें कि वातावरण शांति और सकारात्मक हो।
- रुद्राक्ष की शुद्धि: रुद्राक्ष को गंगाजल या शुद्ध जल से धोकर शुद्ध करें। यह रुद्राक्ष की सकारात्मक ऊर्जा को सक्रिय करता है और इसे शुद्ध करता है।
- दीपक और अगरबत्ती जलाएं: पूजा स्थल पर एक दीपक और अगरबत्ती (धूप) जलाएं। इससे वातावरण में शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- रुद्राक्ष पर ताजे फूल चढ़ाएं: रुद्राक्ष पर ताजे फूल अर्पित करें। यह भगवान कार्तिकेय को श्रद्धा अर्पित करने का एक तरीका है।
- मंत्र जाप करें: 6 मुखी रुद्राक्ष की पूजा करते समय निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
- “ॐ ह्लीं ह्लीं कार्तिकेयाय नमः” – यह मंत्र विशेष रूप से 6 मुखी रुद्राक्ष के लिए है।
- “ॐ नमः शिवाय” – भगवान शिव के आशीर्वाद के लिए।
इन मंत्रों का जाप 108 बार करें। यदि माला का प्रयोग कर रहे हैं, तो माला पर एक-एक मंत्र का जाप करें।
- चावल और लौंग अर्पित करें: रुद्राक्ष के सामने चावल और लौंग अर्पित करें। यह भोग और सम्मान का प्रतीक है।
- फल और मिठाई अर्पित करें: पूजा के बाद रुद्राक्ष के सामने ताजे फल और मिठाई अर्पित करें। इससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है और पूजा का समापन होता है।
- आरती और शांति पाठ: पूजा के बाद भगवान कार्तिकेय की आरती “ॐ जय शिव ओंकारा” या “कार्तिकेय की आरती” का पाठ करें। अंत में “ॐ शांति शांति शांति” का जाप करें, ताकि शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
- रुद्राक्ष को धारण करें: पूजा समाप्त होने के बाद रुद्राक्ष को शुद्ध करके पहन सकते हैं। आप इसे गहने के रूप में, अंगूठी या डोरी में गले में पहन सकते हैं।
- प्रसाद वितरण: पूजा का प्रसाद परिवार के अन्य सदस्य में वितरित करें। यह भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का तरीका है।
विशेष ध्यान देने योग्य बातें:
- रुद्राक्ष को हमेशा साफ और पवित्र रखें। स्नान और भोजन के समय इसे हटा लें।
- पूजा के समय मानसिक शांति बनाए रखें और श्रद्धा से पूजा करें।
- रुद्राक्ष को नियमित रूप से शुद्ध करें और पूजा विधि का पालन करें।
6 मुखी रुद्राक्ष के लाभ:
- आत्मविश्वास और शक्ति में वृद्धि: 6 मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति के आत्मविश्वास और निर्णय क्षमता को बढ़ाता है।
- समस्याओं से मुक्ति: यह रुद्राक्ष जीवन की बाधाओं और समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: यह रुद्राक्ष शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है और नकारात्मकता को समाप्त करता है।
- समृद्धि और शांति: यह रुद्राक्ष समृद्धि, सुख, और मानसिक शांति प्राप्त करने में सहायक है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह रुद्राक्ष व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति और मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर करता है।
इस प्रकार, 6 मुखी रुद्राक्ष की पूजा विधि से आप जीवन में शक्ति, शांति, समृद्धि और आत्मविश्वास प्राप्त कर सकते हैं।





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