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होलीका दहन की पूजा विधि और महत्व

होलीका दहन फाल्गुन पूर्णिमा को किया जाता है और इसे बुरी शक्तियों के नाश और अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

होलीका दहन की पूजा विधि

1. शुभ मुहूर्त देखें

  • पंचांग के अनुसार होली दहन का शुभ मुहूर्त देखें।
  • भद्रा काल में होली दहन नहीं करना चाहिए।
  • प्रदोष काल में होली जलाना शुभ माना जाता है।

2. पूजा सामग्री तैयार करें

  • गोबर से बनी होलिका और प्रह्लाद की मूर्ति
  • कच्चा सूत (मौली)
  • नारियल
  • गंगाजल
  • रोली, अक्षत, पुष्प
  • हल्दी, चंदन
  • गुड़, कच्चे आम, चने, गेहूं की बालियां
  • कपूर, धूप, दीप

3. पूजा की विधि

  1. होली जलाने से पहले उसकी परिक्रमा करें – परिक्रमा के दौरान मौली (कच्चा सूत) लपेटें और जल अर्पित करें।
  2. होलिका दहन से पहले पूजा करें
    • सबसे पहले गणेश वंदना करें।
    • फिर भगवान विष्णु और प्रह्लाद की पूजा करें।
    • होलिका माता को हल्दी, रोली, अक्षत और पुष्प अर्पित करें।
  3. होलिका दहन करें – अग्नि प्रज्वलित करें और उसमें गोबर के उपले, चना, गेंहू, नारियल, गुड़ आदि अर्पित करें।
  4. होली की परिक्रमा करें – होलिका की 3 या 7 बार परिक्रमा करें और प्रार्थना करें।
  5. बुराई का नाश और मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करें।

होलिका दहन का महत्व

  • नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों का नाश होता है।
  • घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
  • धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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