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Kale Ashtami: Significance, puja method and auspicious time

काले अष्टमी 2024: महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

काले अष्टमी 2024: महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

काले अष्टमी का महत्व:
काले अष्टमी, जिसे कालाष्टमी भी कहा जाता है, भगवान भैरव को समर्पित एक प्रमुख तिथि है। हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। विशेष रूप से मार्गशीर्ष, पौष, और चैत्र मास की कालाष्टमी अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन भगवान भैरव की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

काले अष्टमी की पूजा विधि:

  1. स्नान और शुद्धि: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. व्रत का संकल्प: भगवान भैरव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  3. भगवान भैरव की पूजा:
    • भगवान भैरव की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं।
    • धूप, पुष्प, और सिंदूर चढ़ाएं।
    • भैरव चालीसा या काल भैरव स्तोत्र का पाठ करें।
    • काले कुत्ते को रोटी या दूध अर्पित करें।
  4. भैरव जी का भोग: भैरव जी को उनके प्रिय भोग—उड़द की दाल, जलेबी, या खीर—चढ़ाएं।
  5. रात्रि जागरण: इस दिन रात्रि जागरण और भगवान भैरव के मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है।

शुभ मुहूर्त:
कालाष्टमी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त कल रात [मुहूर्त समय जोड़ें, अगर ज्ञात हो] रहेगा। इस दौरान भगवान भैरव की पूजा करना अत्यंत फलदायी होगा।

काले अष्टमी के लाभ:

  • जीवन में आने वाली परेशानियों का समाधान।
  • कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता।
  • नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से रक्षा।
  • व्यापार में वृद्धि और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा।

भगवान भैरव के मंत्र:
“ॐ कालभैरवाय नमः”
इस मंत्र का 108 बार जाप अवश्य करें।

काले अष्टमी क्यों है विशेष?
कहा जाता है कि भगवान भैरव ने इस दिन अधर्म और बुराई का नाश किया था। तभी से यह दिन उनकी आराधना के लिए समर्पित हो गया।

इस काले अष्टमी, भगवान भैरव की कृपा से अपने जीवन में सकारात्मकता और शांति का अनुभव करें।

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